गर्भाधान के 21 से 22 सप्ताह तक
फेफड़ों में सांस लेने की कुछ क्षमता आ जाती है।
इसे जीवन क्षमता की अवस्था के
रूप में जाना जाता है,
क्योंकि कुछ गर्भस्थ शिशु
गर्भ के बाहर भी जीने लायक बन पाते हैं।
चिकित्सा क्षेत्र में सफल खोजों के कारण
अपरिपक्व जन्मे शिशुओं को
ज़िंदा रखना भी संभव हो रहा है।